घाटकोपर इलाके में एक साथ 36 राजहंस मरे मिले, जब मौत की वजह पता चली तो सब चौक गए
मुम्बई में एक साथ 36 राजहंसों की मौत हो गई। पक्षियों के एक साथ मारे जाने के बाद हड़कंप मच गया। मौत की वजह जब वन विभाग की टीम ने तलाशनी शुरू की तो चौकाने वाली बात सामने आई। इनकी मौत प्लेन से टकराने से हुई थी।
मुंबई। घाटकोपर इलाके में 36 फ्लेमिंगो (राजहंस) मरे हुए पाए गए। फोरेस्ट टीम ने पता लगाया कि पक्षियों की मौत का कारण क्या रहा तो सामने आया कि प्लेन से टकराने से इनकी मौत हुई है। दरअसल एमिरेट्स की फ्लाइट से ईके 508 20 मई की रात को दुबई से उड़कर मुंबई आ रही थी। जब फ्लाइट घाटकोपर में पंतनगर के लक्ष्मी नगर इलाके के ऊपर से गुजर रही थी, तब इन फ्लेमिंगों का झुंड फ्लाइट से टकराया और 36 पक्षियों की मौत हो गई। मुंबई एयरपोर्ट के अधिकारी ने बताया कि फ्लाइट रात 9.18 पर लैंड हुई, तब पक्षियों के टकराने की बात पता चली। इस घटना में फ्लाइट को भी नुकसान हुआ, लेकिन गमीमत रही कि वह सकुशल लैंड हो गई। फ्लाइट में 310 यात्री सवार थे।
म्यांमार के आसमान में एयर टर्बुलेंस में फंस गई
सिंगापुर। सिंगापुर एयरलाइन्स की फ्लाइट 21 मई को म्यांमार के आसमान में एयर टर्बुलेंस में फंस गई। अचानक लगे झटकों से 73 साल के ब्रिटिश पैसेंजर की मौत हो गई और 30 घायल हो गए। फ्लाइट लंदन से सिंगापुर जा रही थी। सिंगापुर एयरलाइन्स की बोइंग 777-300 ईआर फ्लाइट ने लंदन से भारतीय समय के मुताबिक देर रात 2.45 बजे उड़ान भरी थी। टेकऑफ के 11 घंटे बाद फ्लाइट म्यांमार के एयरस्पेस में 37 हजार फीट पर खराब मौसम की वजह एयर टर्बुलेंस में फंस गई। इस दौरान कई झटके लगे। विमान 5 मिनट के अंदर 37 हजार फीट की ऊंचाई से 31 हजार फीट की ऊंचाई पर आ गया। इस दौरान ऊंचाई कम करते वक्त यात्रियों को सीट बेल्ट पहनने की वॉर्निंग नहीं दी गई। कई यात्री अपनी सीट से ऊपर उछल गए, उनका सिर लगेज कंटेनर से टकरा गया। कई लोगों को चोट लगी। एक पैसेंजर की मौत हो गई। इसके बाद फ्लाइट को भारतीय समयानुसार दोपहर 2.15 बजे बैंकॉक डायवर्ट किया गया। यहां के सुवर्नभूमि एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। फ्लाइट दोपहर 3: 40 बजे सिंगापुर लैंड होने वाली थी। फ्लाइट में 211 यात्री और 18 क्रू सदस्य सवार थे।
क्या होता है टर्बुलेंस?
विमान में टर्बुलेंस या हलचल का मतलब होता है- हवा के उस बहाव में बाधा पहुंचना, जो विमान को उडऩे में मदद करती है। ऐसा होने पर विमान हिलने लगता है और अनियमित वर्टिकल मोशन में चला जाता है यानी अपने नियमित रास्ते से हट जाता है। कई बार टर्बुलेंस से अचानक ही विमान ऊंचाई से कुछ फीट नीचे आने लगता है। विमान में सवार यात्रियों को ऐसा लगता है, जैसे विमान गिरने वाला है। टर्बुलेंस में प्लेन का उडऩा कुछ हद तक वैसा ही है, जैसे-उबाड़-खाबड़ सड़क पर कार चलाना। कुछ टर्बुलेंस हल्के होते हैं, जबकि कुछ गंभीर होते हैं। किसी भी प्लेन को स्थिर तौर पर उडऩे के लिए जरूरी है कि इसके विंग के ऊपर और नीचे से बहने वाली हवा नियमित हो। कई बार मौसम या अन्य कारणों से हवा के बहाव में अनियमितता आ जाती है, इससे एयर पॉकेट्स बन जाते हैं और इसी वजह से टर्बुलेंस होता है।